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बिखरता भारत

बिखरता भारत


ये सुन्दर कविता.. हर रिश्ते के लिए
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन!

आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन!

मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन!

बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन!

दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन!

न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन!

डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन!

एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन!

ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन!

मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें..
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन!!
                                                                                                                                                   Copied


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Poem Collection 

  •  बिखरता भारत
  •  गांधी  जी  का  देश
  •  इतिहास चुप है 
  •  माँ तू जा रही हो
  •  भावना

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